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South Korea

फसह और अख़मीरी रोटी के पर्व की पवित्र सभा – २०१३

  • Nation | कोरिया
  • Date | March 25, 2013
■ फसह का पर्व – रोटी खाने और दाखमधु पीने के द्वारा अनन्त जीवन में भाग लेना

२५ मार्च की शाम को, जो पवित्र कैलेंडर में पहले महीने का १४ वां दिन है, नए यरूशलेम मंदिर में और दुनिया भर में १७० देशों के सभी २,२०० सिय्योन में, परमेश्वर की कलीसिया द्वारा फसह के पर्व की पवित्र सभा का आयोजन किया गया था. बाइबल की शिक्षाओं की आज्ञाकारिता में, वह कलीसिया जो फसह का पर्व मनाती है केवल परमेश्वर की कलीसिया है.

ⓒ 2013 WATV
फसह का पर्व, ३,५०० वर्ष पहले, पुराने नियम के समय में इस्राएलियों के निर्गमन से उत्पन्न हुआ. इस्राएली, जो मिस्र के देश में गुलाम थे, वे मेम्नों के लहू के द्वारा विपत्तियों से बचाए गए थे, और उन्होंने अपने दासत्व से छुटकारा पाया जो ४०० से भी अधिक वर्ष तक बना रहा था. वह दिन फसह था. परमेश्वर ने उन्हें उस दिन को सदा की विधि जानकार पर्व मनाने की आज्ञा दी(निर्गमन १२:१-१४). नए नियम के समय में, क्रूस पर बलिदान होने के एक दिन पहले यीशु ने एक वाचा बाँधी, और प्रतिज्ञा दी कि फसह की रोटी और दाखमधु उसका मांस और लहू ठहरेगा. इसके द्वारा, मानव जाति जो पाप और मृत्यु के दासत्व में थी, यीशु का मांस और लहू, अर्थात् फसह की रोटी और दाखमधु को खाने के द्वारा अनन्त जीवन में प्रवेश करने के लिए बहुतायत से आशीषित की गयी.

ⓒ 2013 WATV
पैर धोने की विधि के साथ फसह के पर्व की पवित्र सभा नए यरूशलेम मंदिर में ६ बजे शुरू हुई. प्रधान पादरी किम जू-चिअल ने समझाया कि २,००० वर्ष पहले मरकुस की अटारी में फसह की रोटी और दाखमधु लेने से पहले यीशु ने पैर धोने की विधि को पूरा किया, और उन्होंने कहा कि, “पैर धोने की विधि में भाग लेना, विनम्रता और दूसरों की सेवा करने जैसे यीशु के उदाहरण को पालन करने का तरीका है. वह एक बहुत ही महत्वपूर्ण विधि है जो परमेश्वर और उसके बचाए जानेवाले लोगों के बीच के संबंध की पुष्टि करती है.” पैर धोने की विधि के महत्व पर वारंवार ज़ोर देते हुए, उन्होंने पुराने नियम के अभिलेखों को समझाया, जहाँ मृत्यु से बचने के लिए याजक पवित्रास्थान में प्रवेश करने से पहले पानी की हौदी में से पानी के साथ अपने हाथ और पाँव धोया करते थे(यूहन्ना १३:१-१०; निर्गमन ३०:१७-२१).

यीशु मसीह की शिक्षाओं और उदाहरण का पालन करते हुए, सभी सदस्यों ने पैर धोने की विधि में हिस्सा लिया,

और ७ बजे उन्होंने एक धार्मिक मन के साथ पवित्र रोटी और दाखमधु लेने की आराधना में हिस्सा लिया. अपनी सन्तान के उद्धार के लिए, जो मृत्यु के योग्य पाप के कारण अनन्तकाल तक मरने के लिए नियुक्त थी, इस पृथ्वी पर शरीर धारण करके आने के लिए और क्रूस पर दर्दनाक बलिदान सहन करने के लिए, माता ने पिता को धन्यवाद दिया. फसह की सच्चाई को पुनःस्थापित करने के लिए दूसरी बार शरीर में आकर और अपमान सहन करते हुए कष्टदायक पथ पर चलने के लिए, माता ने पिता के अनुग्रह के लिए अपना गहरा आभार व्यक्त किया. माता ने पिता को अपनी सन्तानों को पापों की क्षमा और अनन्त जीवन की आशीष देने के लिए भी कहा, जो यह समझते हुए फसह की रोटी और दाखमधु को खायेंगे कि रोटी और दाखमधु यीशु के बलिदान का अनमोल फल है जो उसके मांस और लहू द्वारा दी जाती है..

प्रधान पादरी किम जू-चिअल ने इस शीर्षक के तहत उपदेश दिया, “जीवन का वृक्ष और फसह के बीच संबंध.” इस उपदेश के द्वारा, उन्होंने नई वाचा के फसह में शामिल दिव्यसंरक्षण और शक्ति के बारे में समझाया.

उन्होंने कहा, ““परमेश्वर व्यक्तिगत रूप से आये और दयनीय मानव को बचाने के लिए, जो अनन्त मृत्यु के लिए नियुक्त थी, उन्होंने बिना मूल्य अपना बहुमूल्य लहू बहाया, लेकिन अज्ञानी मनुष्यों द्वारा उन्होंने गंभीर अपमान और दर्द का सामना किया. हम पापियों के लिए अपना जीवन देने के लिए और खामोशी से सभी बलिदानों को सहन करने के लिए आइए हम परमेश्वर को सच्चा धन्यवाद दे.”

फसह के पर्व की पवित्र सभा समाप्त होने के बाद, माता ने व्यक्त किया कि वह लोगों के लिए कितना खेद महसूस करती है, यह कहते हुए कि, “लंबे समय तक जीने के लिए लोग किसी भी तरह की दवाई खायेंगे, लेकिन उन्हें ऐसी दवा नहीं मिली है जिसे वे खा सके और सदा तक जिए,” और यह कहते हुए, सदस्यों को प्रचार करने के लिए कहा, “जीवन का भोजन पापों की क्षमा और अनन्त जीवन की आशीष देता हैं. आइए हम इसे अपने पास ही न रखे और केवल हम खुशी महसूस करें, लेकिन इसे कई लोगों को प्रचार करें और सभी एक साथ सदा के लिए आनंदित रहे.”

ⓒ 2013 WATV
ⓒ 2013 WATV


नई वाचा के फसह की रोटी और दाखमधु में हमें महान विपत्तियों से बचाने का प्रभाव है जो दुनिया भर में घटित होते हैं, और वे सबसे उत्तम उपहार है जो परमेश्वर ने, अर्थात् जो जीवन के वृक्ष की सच्चाई है, अपने मांस और लहू के रूप में मानव जाति को दिया है. पर्व में शामिल परमेश्वर की गहरी इच्छा को उकेरकर, सदस्यों ने एक धार्मिक मन के साथ फसह के पर्व में भाग लिया. पापियों के लिए अपने आप को बलिदान करने के उनके महान और पवित्र प्रेम के लिए भी सदस्यों ने एलोहीम को हार्दिक धन्यवाद दिया.


■ अख़मीरी रोटी का पर्व – क्रूस पर के कष्टों में सहभागी होने के द्वारा उसके प्रेम और बलिदान के लिए मसीह को धन्यवाद देना.

ⓒ 2013 WATV
२६ मार्च को (पवित्र कैलेंडर में पहले महीने का १५ वा दिन), अर्थात् फसह के बाद आनेवाला दिन, दुनिया भर में सभी परमेश्वर की कलीसियाओं ने २०१३ का अख़मीरी रोटी के पर्व की पवित्र सभा का आयोजन किया, और मसीह के कष्ट, प्रेम और बलिदान को स्मरण किया. उपवास के द्वारा सदस्यों ने मसीह के कष्टों में भाग लिया, फसह के मध्यरात्रि से लेकर अगली दोपहर तीन बजे तक – वह समय जब यीशु ने क्रूस पर अपनी अंतिम सांस ली.

अख़मीरी रोटी का पर्व कष्टों को याद करने का पर्व है जो इस्राएलियों ने लाल समुद्र को पार करने तक सहन किये थे, मेम्नों के लहू के साथ मनाये फसह के द्वारा विपत्ति से बचने के बाद, उनका मिस्त्र के देश से बाहर निकलने के समय से, मिस्त्र की सेना द्वारा उनका पीछा किया जा रहा था(निर्गमन १४; लैव्यव्यवस्था २३:६). नई वाचा का फसह मनाने के बाद, यह यीशु द्वारा पूरा किया गया, यीशु ने गंभीर उत्पीड़न और कष्ट को सहन किया, और अगले दिन उसने क्रूस पर बलिदान दिया और गुजर गया. पुराने नियम के समय में इस्राएलियों ने निर्गमन के कष्टों और परमेश्वर के अनुग्रह को अख़मीरी रोटी (खमीर के बिना) और कड़वे सागपात को खाते हुए स्मरण किया, और नए नियम के समय में हम यीशु की शिक्षाओं के प्रति आज्ञाकारिता में उपवास करने के द्वारा मसीह के कष्टों में सहभागी होते हैं, कि हमें उस दिन उपवास करना चाहिए जब दूल्हा हमसे अलग किया जायेगा (मरकुस २:२०).

माता ने पिता को उनके बलिदान और प्रेम के लिए गहराई से धन्यवाद दिया जो उन्होंने २,००० वर्ष पहले क्रूस पर कष्ट सहन करते हुए और जीवन का मार्ग खोलने के लिए पृथ्वी पर दुबारा शरीर में आकर दिया था, जिसे शैतान, अर्थात् इबलीस ने रौंद दिया था. उन्होंने सदस्यों को उपवास के माध्यम से मसीह के कष्टों में भाग लेने के द्वारा परमेश्वर के प्रेम और बलिदान को समझने के लिए और एक नम्र रवैये के साथ उनके सभी वचनों का पालन करने के द्वारा परमेश्वर को उनका अनुग्रह लौटाने के लिए भी कहा.
प्रधान पादरी किम जू-चिअल ने परमेश्वर की इच्छा और अख़मीरी रोटी के पर्व में शामिल पर्व के अर्थ को समझाया, और कहा, “परमेश्वर की सन्तान के रूप में, आइए हम परमेश्वर के बलिदान के नक्शेकदम पर चलें.”

प्रधान पादरी किम जू-चिअल ने यह भी कहा कि, “हमारे पापों और अपराधों के कारण यीशु ने क्रूस पर कष्ट सहन किये. हालाँकि, जब वह संकटपूर्ण स्थिति में था, कोई भी उसके साथ नहीं था. हमें उन चेलों की तरह बर्ताव नहीं करना चाहिए जो अपनी खुद की सुरक्षा को ही ध्यान में रखते हुए, मसीह के पास से चले गए थे. यही कारण है कि हम अख़मीरी रोटी के पर्व के कष्टों में हिस्सा लेते हैं.”

प्रधान पादरी किम जू-चिअल ने अपने उपदेश में यह भी कहा कि, “मानव जाति के उद्धार के लिए मसीह स्वेच्छा से क्रूस के दर्दनाक पथ पर चलें. अख़मीरी रोटी के पर्व के द्वारा, हमें मसीह के कष्ट को सिखना चाहिए ताकि कठिनाइयों और मुश्किलों को सहन करते हुए और ढोते हुए हम आगे जा सके.” इस तथ्य पर जोर देते हुए कि हमें ईमानदारी से मसीह के अंतिम अनुरोध का पालन करना चाहिए – कि जाओ, सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ; और उन्हें पिता, और पुत्र, और पवित्र आत्मा के नाम से बपतिस्मा दो(मत्ती २८:१८-२०), प्रधान पादरी ने सभी सदस्यों को कुछ कष्टों के होने के बावजूद सुसमाचार प्रचार करने को कहा और अपने खुद के क्रूस को उठाते हुए आनन्द के साथ स्वर्ग की ओर दौड़ने को कहा, यह विश्वास करते हुए कि मसीह के साथ क्रूस उठाने का यही मार्ग है, जो मसीह ने उठाया.
सदस्यों ने अपने हृदय पर परमेश्वर के प्रबल प्रेम को गहराई से उकेर लिया, जो अख़मीरी रोटी के पर्व में शामिल है, और उन्होंने पूरी दुनिया को नई वाचा का सुसमाचार बताने के अपने दृढ़ संकल्प की पुनः पुष्टि की, जिसे मसीह ने अपने बहुमूल्य लहू के साथ स्थापित किया था. उन्होंने अपने सभी पापों से भी पश्चाताप किया और पापी सन्तान के लिए खुद पापों का भारी बोझ उठाने के उनके बलिदान के लिए पिता और माता को गहराई से धन्यवाद दिया.


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