ⓒ 2013 WATV
इन सर्दियों में जब चुभनेवाली ठंडी हवा से लोगों के चेहरे सिहरते हैं और लोग ठंड से सिकुड़ते हैं, विशेष रूप से जो अपने परिवार से अलग रहते हैं, वे अपनी माताओं की गर्म बांहों को याद करते हैं। जो विरोध प्रदर्शनों को दबाने और सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने का प्रयास करते हैं, वे सरकारी पुलिसकर्मी भी कोई अपवाद नहीं हैं; क्योंकि वे अपने घरों को छोड़कर, इक्कीस महीनों तक सैनिक सेवा के लिए पुलिस स्टेशनों में काम कर रहे हैं, इसलिए उन्हें भी मन की शांति की जरूरत है।
24 दिसंबर 2013 को, डेगू में नाम्बु पुलिस स्टेशन के लगभग 80 सरकारी पुलिसकर्मियों ने “हमारी माता” लेखन और तस्वीर प्रदर्शनी देखने के लिए डेगू में बुकगु चर्च का दौरा किया। वे बुकगु चर्च के सदस्यों के निमंत्रण पर आए।
करीब दोपहर 3 बजे पुलिसकर्मियों ने अच्छे क्रम में प्रदर्शनी में प्रवेश किया, और उनके चेहरे पर तनाव था। एक एक करके लेख पढ़ने के लिए उनके साहसी कदम कभी–कभी धीमे हुए या रुके। दूर घर में रह रही अपनी माताओं के बारे में सोचकर, कुछ पुलिसकर्मियों की आंखों में आंसू उमड़ आए, और कुछ भावुक हो उठे।
अधिकारी ने जिसने उस दिन उनका नेतृत्व किया था, यह कहते हुए प्रदर्शनी का स्वागत किया, “वे दिन और रात काम करके, मानसिक और शारीरिक रूप से थके हैं, तो ये दिल को छुनेवाले लेख पुलिसकर्मियों को अत्यंत आराम दे सकते हैं। अब इस युग में, स्वार्थवाद बढ़ गया है। यह प्रदर्शनी हमारे बेरहम समाज को राहत देती है।”
कॉर्पोरल पार्क संङ फ्यो ने कहा, “माता अंतहीन ब्रह्मांड की तरह है, जिनके प्रेम की शुरुआत और अन्त नहीं है। मेरी माता जब वह अकेली होती है, तो वह नीच खाना खाती है। अपनी माता को सोचकर मेरा मन भावातिरेक से भर उठा।” दूसरे पुलिसकर्मियों ने भी यह कहते हुए विश्वासयोग्य पुत्र बनने का मन बनाया, “मैं अपनी माता को अक्सर फोन करूंगा,” या “जब मुझे एक दिन की छुट्टी होगी तब मैं अपनी माता के साथ ज्यादा समय बिताऊंगा।”
प्रदर्शनी देखने के बाद, पुलिसकर्मी छोटे समूहों में एकत्र हुए, और उन्होंने इस मनोहर स्मृति को याद रखने के लिए फोटो क्षेत्र में तस्वीरें निकालीं। वे माता के प्रेम और बलिदान के बारे में वीडियो देखकर अपने मन में वह भावना रखते हुए स्टेशन लौटे।
पिछले वर्ष जून में, माता के पे्रम, बलिदान, अफसोस और सहानुभूति के विषयों के साथ “हमारी माता” लेखन और तस्वीर प्रदर्शनी सियोल में गांगनाम चर्च से शुरू हुई थी। शिक्षण, जन–संचार और संस्कृति जैसे समाज के हर क्षेत्र के महत्वपूर्ण लोगों से इसकी प्रशंसा की गई। प्रदर्शनी को छह मुख्य शहरों से शुरू करके, सुवान और जन्जु जैसे छोटे और मध्यम शहरों मे भी प्रसारित किया गया। तनावग्रस्त कर्मचारी, कठिन पढ़ाई और नौकरी की प्राप्ति में थके छात्र, और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनंद लेने के कम अवसर मिल रहे बुजुर्गों समेत सभी उम्र के पुरुष और महिलाएं आते जा रहे हैं। और दर्शकों की कुल संख्या 1 लाख 70 हजार तक पहुंच गई है। प्रदर्शनी जिसने अच्छी प्रतिष्ठा स्थापित की है कि यह माता के प्रेम के साथ आधुनिक लोगों की सूखी भावना को पुनर्जीवित करती है, वह इस वर्ष की शुरुआत में सियोल के ग्वान्आक, छाङवन, आन्सान, छुन्छन इत्यादि कोरिया के हर शहर में अनुक्रम में आयोजित की जाएगी।
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