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चर्च ऑफ गॉड के विश्वविद्यालयों के छात्रों का ASEZ स्वयंसेवा–दल

  • Environmental Protection
  • Nation | कोरिया
  • Date | July 24, 2017
ⓒ 2017 WATV

पृथ्वी के पर्यावरण को बचाने और अच्छी दुनिया को बनाने के लिए चर्च ऑफ गॉड के विश्वविद्यालयों के छात्रों का ASEZ स्वयंसेवा–दल विश्वास और प्रेम के साथ कैंपस में विभिन्न परियोजनाओं को चला रहा है। उन्होंने अपने मन में ज्ञान और जोश भर दिए और पृथ्वी के अलग–अलग स्थानों पर एक मन होकर मूल्यवान पसीने बहाते हुए विशेष छुट्टियां बिताईं। जुलाई–अगस्त में कोरिया के विश्वविद्यालयों के 250 छात्र संस्कृतियों के आदान–प्रदान करने के लिए 23 देशों के 33 शहरों की ओर उड़कर पहुंच गए और स्थानीय विश्वविद्यालयों के छात्रों और सदस्यों के साथ मिलकर स्वयंसेवा कार्य किए।

इस बार गतिविधियां 2015 में यूएन द्वारा घोषित सतत विकास लक्ष्यों(एसडीजी) के अनुसार चलाई गईं। सतत विकास लक्ष्यों में 17 मुख्य विकास लक्ष्य तथा 169 सहायक लक्ष्य हैं, जैसे कि पर्यावरण का संरक्षण करना, मरुस्थलीकरण को रोकना, गरीबी का अंत करना, गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा देना आदि। ये लक्ष्य ऐसे वादे हैं जिन्हें पूरा करने के लिए यूएन के सदस्य देश सहमत हुए थे। इसे सफल बनाने के लिए यूएन के द्वारा सुझाए गए तरीकों में से एक स्वयंसेवा कार्य है। इसका मतलब है कि जब सरकारी और गैर सरकारी संगठनों से लेकर सभी देशों के लोगों तक सब लोग उन लक्ष्यों पर ध्यान देकर शामिल होंगे, तब सतत विकास लक्ष्य सफलता पूर्वक हासिल किए जाएंगे।

ⓒ 2017 WATV
ASEZ in Washington D.C. was invited to the UN Headquarters. ASEZ in Raipur, India, agreed to continue to cooperate with Kalinga University.


इन लक्ष्यों की पूर्ति के लिए ASEZ ने अच्छे कामों पर बल देते हुए दुनिया के लोगों की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए “मदर्स स्ट्रीट” नामक परियोजना को शुरू किया। इस परियोजना के तहत, सड़क जिसे पर्यावरण के सुधार की जरूरत है उसमें 1 किलोमीटर की दूरी को “मदर्स स्ट्रीट” के रूप में चुना जाता है और महीने में एक बार उसकी सफाई की जाती है, ताकि पृथ्वी की परिधि यानी 40,000 किलोमीटर की दूरी का मार्ग साफ हो सके। 2015 में नेपाल के काठमांडू से शुरू की गई इस परियोजना का निवासियों और सरकार के द्वारा स्वागत किया गया है और अब तक नेपाल में 11 मदर्स स्ट्रीटों का निर्धारण किया गया है।

जापान के टोक्यो, मंगोलिया के उलानबाटर, अमेरिका के वाशिंगटन डीसी, जर्मनी के म्यू निख, स्पेन के मैड्रिड, इंग्लैंड के लंदन आदि उत्तरी गोलाद्र्ध में विश्वविद्यालयों के छात्रों ने 40 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा गर्मी, 90 प्रतिशत नमी और भारी वर्षा होने के बावजूद रास्तों में कूड़ा–कचरों को उठाते हुए पर्यावरण संरक्षण अभियान में भाग लिया।

दक्षिण अफ्रीका गणराज्य के बोत्सवाना, ब्राजील के पोर्टो एलेग्रे, अर्जेंटीना के सांटा फे आदि दक्षिणी गोलार्द्ध में शीतल मौसम के बावजूद सड़क सफाई अभियान चलाया गया। और ऑस्ट्रेलिया के सिडनी और अर्जेंटीना के द्वितीय शहर कॉर्डोबा में जहां गंभीर मरुस्थलीकरण हो रहा है, कठोर जमीन को खोदकर उसमें सैकड़ों वृक्षों को लगाया गया।

ⓒ 2017 WATV

इसके साथ–साथ वे CPTED गतिविधियों में भी शामिल थे। CPTED का मतलब है, पर्यावरणीय डिजाइन के द्वारा अपराध की रोकथाम करना। यह अपराध को रोकने का एक सूक्ष्म कौशल है; जहां आसानी से अपराध पैदा होते हैं उस क्षेत्र की डिजाइन को बदलने के द्वारा अपराध को रोकने का कौशल है। दीवारों पर चित्र बनाना, एलईडी सिक्युरिटी रोशनी या आईना लगाना इत्यादि इसके अच्छे उदाहरण हैं। भारत के बैंगलोर में कोरिया के विश्वविद्यालयों के छात्रों ने अपनी उत्कृष्ट रचनात्मकता का परिचय देते हुए दीवारों पर सुंदर चित्र बनाए और सड़क को चमकीला बनाया।

इन कार्यों का मूख्य उद्देश्य सिर्फ कुछ समय के लिए सड़कों को स्वच्छ बनाना नहीं, बल्कि स्थानीय निवासियों के अनुभवों को और प्रत्येक देश के विश्वविद्यालयों के छात्र जो भविष्य में नेता बनेंगे, उनके अनुभवों को बदलने के द्वारा और उन्हें अभ्यासों के महत्व का एहसास कराने के द्वारा स्वयंसेवा कार्य में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करना है। यही मुख्य मुद्दा है कि ASEZ टीमों के कोरिया में वापस चले जाने के बाद भी स्थानीय निवासी अपने आप सड़कों को साफ और सुरक्षित रखें और आगे चलकर वे स्वयंसेवा कार्य करते रहें जो वहां के समाज में जरूरी हैं। इस कारण से उन्होंने अमेरिका के वाशिंगटन डीसी, फिलीपींस के मनिला, नेपाल के काठमांडू आदि शहरों में पर्यावरण सेमिनार को आयोजित किया।

स्वयंसेवा कार्य चलाने के दौरान विश्वविद्यालयों के छात्रों और नागरिकों के रवैया का परिवर्तन नजर आने लगा। कई शहरों में स्थानीय निवासियों ने सक्रिय रूप से स्वयंसेवा कार्य में भाग लिया, और स्थानीय विश्वविद्यालयों के छात्रों ने अपने विश्वविद्यालयों के साथ सेवा कार्य–योजना बनाते हुए अच्छी संभावना को दिखाया।

ASEZ के इन कार्यों से प्रेरित हुए यूएन ने अमेरिका में वाशिंगटन डीसी की ASEZ टीम को यूएन महासभा में आमंत्रित करके उनके मन में भविष्य का सपना बसाया और दक्षिण अफ्रीका गणराज्य के बोत्सवाना नगर भवन, 10 संगठनों और विश्वविद्यालयों ने MOU संधि पर हस्ताक्षर करके लगातार समर्थन और सहयोग करने का वादा किया। इस तरह उन्होंने हर देश की स्थानीय सरकारों, निवासियों और छात्रों के साथ मिलकर लगातार स्वयंसेवा कार्य करने के लिए आधार बनाया।

दक्षिण अफ्रीका गणराज्य के बोत्सवाना के मेयर सोली अमसिमांगा ने यह कहकर ASEZ को समर्थन दिया कि, “मैं अंधेरी सड़कों को, जहां अपराध पैदा होते हैं, ऐसी उज्ज्वल और जीवंत सड़कें बनाना चाहता हूं जहां बाजार और संगीत कार्यक्रम लगता है और युवा कलाकारों की कलाकृतियों को प्रदर्शित किया जाता है। सड़कों और शहरों को बदल रहे आप लोगों की मदद मैं करना चाहता हूं, इसलिए मुझे कभी भी बुला लीजिएगा।”

ⓒ 2017 WATV

सिडनी में जाकर आए भाई सोंग मिन यंग(सांगम्यंग विश्वविद्यालय का छात्र) ने यह कहकर अपनी इच्छा दिखाई कि, “मैंने अपने कैरियर और पढ़ाई की चिंता में स्वयंसेवा कार्य में भाग लेना मुश्किल समझ लिया था, पर इस बार मैंने महसूस किया कि दूसरे की मदद करने के द्वारा संसार बदल जाता, तो मेरा भविष्य भी अच्छा हो जाता है। आगे चलकर मैं कोशिश करूंगा कि मैं मेहनत से स्वयंसेवा करते हुए सभी लोगों के भविष्य को उज्ज्वल बनाऊं।”

विश्वविद्यालयों के छात्रों के पास अपने जीवन में सबसे ज्यादा बुद्धि और ताकत होती है। भले ही बहुत तेजी से बिगड़ रहे पृथ्वी के पर्यावरण और समाज की जटिल समस्या को ठीक करने के लिए लोग उनसे उम्मीद रख रहे हैं, लेकिन इस युग के युवा लोग स्वार्थी हैं और आर्थिक तंगी और नौकरी की तलाश में जुटे रहने के कारण ऐसा करने से हिचकिचाते हैं। यूएन के सर्वेक्षण के अनुसार स्वयंसेवा कार्य में 18 से 24 साल तक के लोगों की भागीदारी किसी भी दूसरे आयु–वर्ग की तुलना में कम है, और अमेरिका के श्रम विभाग के रिपोर्ट के अनुसार स्वयंसेवा कार्य करने वाले 20 से 24 साल तक के लोगों का प्रतिशत बहुत कम है।

अब पूरे संसार में युवा लोगों के जोश और कार्य की जरूरत है। ASEZ विश्वविद्यालयों के छात्र सही विश्वास और परमेश्वर के प्रेम को अपने मन में रखते हुए विश्वग्राम के मित्रों के साथ हाथ मिलाकर संसार का परिवर्तन कर रहे हैं, ताकि हम सब ऐसा संसार बना सकें जहां हर कोई खुशी से रह सकता है।
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